Monday, 30 May 2016




होगा न ! सवाल जवाब !
उस आइन्स्टायन की औलाद से !

प्रधान अध्यापक और परीक्षा नियंत्रक मुँह की खाये, एक बालक के हाथ, वो भी एक उस शिक्षक के मौजूदगी में जिसे डाँट फटकार के अलावा कहा गया था कि उसे डीमोट कर दिया गया , शिक्षक से शिक्षार्थी.
इस एपिसोड को बालक भूलेगा क्या, उसे तो यादगाश्त में रखने लायक हुआ कुछ ऐसा एहसास ही नहीं था. यह एहसास लौटा, या ये कहिये कि लौटाया गया, जब प्रधान अध्यापक कुछ दिन के बाद क्लास में आये और सारी कहानी का ज़िक्र विद्यार्थियों से किया, तालियों की गड़गड़ाहट के बीच, उस बालक के लिए तारीफ़ का पुल बाँधते हुए.
लेकिन परीक्षा नियंत्रक अचम्भित थे, जिन्हें उस दिन की घटना अपमान का ऐसा दंश लगा जो सर्प दंश से कम नहीं था. तो उन्होंने पूछ दिया प्रधान अध्यापक से कि सर आपने तो तालियाँ बजवा दी, और कल एक  जलसा भी रख दिया, उस शैतान की खला को महिमा मंडित करने.
वाह , क्या समझ है आपकी, प्रधान अध्यापक ड़पट कर बोले. वहाँ न सवाल जवाब होगा उस आइन्स्टायन की औलाद से !

(आगे और )
पिछली कड़ी पीछे!

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