Sunday, 19 July 2015

एक दुखी परिवार  2

अब एक दूसरी मुश्किल खड़ी हो गयी. परिचय. उस परिवार का परिचय दूं तो कैसे. नाम क्या बोलू. अंग्रेजी बोलू तो ठीक , लेकिन हिंदी में नाम बोलूगा, तो समाज विभक्त हो जायेगा. दो फाड़ . 
इसलिए नाम को ज़प्त रखा जाये. 
पहले तो चार लाइन में, एक दूसरी चर्चा कर लेते हैं, जिसके बाद नाम का कोई झगड़ा बचेगा नहीं और नाम आपही विदित हो जायेगा, शायद बताना भी ना पड़े .
हजारों वर्ष पूर्व , एक भूखंड, जम्बुद्वीप के नाम से जाना जाता था, जो वर्तमान में एशिया का  बड़ा हिस्सा है . इसके एक बड़े भूभाग में वो परिवार रहता थाराज भी उन्ही का था , जिसे त्रेता युग में आर्यावर्त कहा जाता था और परिवार था आर्यों का.
युग बदला , किन्तु आर्य और अर्यावर्त वहीँ रहे , जहाँ द्वापर में भारतवंश का राज कायम था. सकी सम्पूर्ण कथा महाभारत काव्य में उल्लिखित है, ज्यादा बताने कि आवश्यकता नहीं.
आवश्यकता मात्र इतना बता देने की हैं, जो सब जानते भी हैं, कि राजा भरत का वो देश, आज भारतवर्ष है, जो आर्यावर्त का ही substituted form /नाम है.
भारतवर्ष कहाँ से शुरू और कहाँ तक फैला था, इस विवाद में पड़ने कि आवश्यकता है नहीं, क्योंकि अभी हम मात्र यह चर्चा कर रहे हैं कि, इस भूभाग का फैलाव चाहे आज दिखने वाली सीमाओं के अनुरूप था या नहीं यह इतिहासकार बताएँगे , किन्तु इस भूभाग का बड़ा भाग आज भी एक ओर हिमालय से कन्याकुमारी और दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर तक फैला था.
भारत का इतिहास और पौराणिक कथाओं के बीच की लकीर इतिहासकारों ने संभवतः सिकंदर के आक्रमण को घटना बनाते हुए खींचा है. यदि उसके पूर्व भी इतिहास के पन्नो में कुछ लिखा पढ़ा होगा तो भी प्रस्तुत प्रसंग में जो बात कही जा रही है उसमे कोई अंतर नहीं आयेगा, और वो मात्र इतना कि सिकंदर ने जिस भूभाग पर आक्रमण किया और जिसे इतिहासकारों ने दर्ज किया वह भूभाग भारतवर्ष के नाम से परिचित था .इस नाम का सीधा सम्बन्ध द्वापरयुग के भरतवंश से है.
(क्रमशः )



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